आँखों की कमजोरी आजकल एक आम समस्या बनती जा रही है। आजकल के डिजिटल युग में कदम रखने के साथ, जहां एक ओर इलेक्ट्रॉनिक उत्पादों का उपयोग करने से हमारे प्रमुख संवेदनशील अंगों जैसे आंख और कान का उपयोग बढ़ा है, उसी के साथ साथ संबंधित स्वास्थ्य समस्याएं भी बढ़ रही हैं। आजकल सिर दर्द और आँखों में दर्द के कारण लोगों को कई प्रकार की समस्याओ का सामना करना पड़ता है, जिस कारण आँखों की कमजोरी के लक्षण को नजरअंदाज करना भारी पड़ सकता है।
मुख्य बिंदु [hide ]
आज हम आपको हमारे शरीर के अति संवेदनशील अंगों मे से एक, आँखों को स्वस्थ्य रखने व आँखों की कमजोरी ठीक करने के कुछ घरेलू व प्राकृतिक उपाय / आदतों से अवगत कराएंगे।

आँखों की कमजोरी ठीक करने के 10 प्राकृतिक उपाय
- फल व सब्जियों का सेवन : भरपूर मात्रा में फल व सब्जियों, विशेष रूप से हरी पत्तेदार सब्जियों के साथ स्वस्थ और संतुलित आहार लेना हमेशा आंखों के स्वास्थ्य को बनाए रखने का एक अच्छा तरीका है। आहार के साथ पूरा होने वाले प्रमुख पोषक तत्व ओमेगा -3 फैटी एसिड, विटामिन सी, विटामिन ई, विटामिन ए और जिंक हैं। आप अपनी टोकरी में गाजर, पालक, परवल, शकरकंद, ब्रोकली, लाल मिर्च, खट्टे फल, अखरोट, काजू, मूंगफली और पालक शामिल कर सकते हैं।
- नियमित व्यायाम : नियमित रूप से शारीरिक व्यायाम करने से मधुमेह, उच्च कोलेस्ट्रॉल और हृदय विकार जैसी स्वास्थ्य संबंधी बीमारियों की संभावना समाप्त हो जाएगी जो अंततः आपको इन बीमारियों के कारण होने वाले नजर विकारों से बचाएगी।
- स्वस्थ वजन : स्वस्थ वजन बनाए रखना शरीर के समग्र स्वास्थ्य को प्राप्त करने का सबसे अच्छा उपाय है।
- पानी : आँखें स्वास्थ्य बनाए रखने के लिए रोजाना अच्छी मात्रा में पानी पीना जरूरी है।
- धूम्रपान : धूम्रपान की आदत आंखों को नुकसान पहुंचाती है क्योंकि इससे उम्र से संबंधित नेत्र विकार जैसे धब्बेदार अध: पतन (macular degeneration) और मोतियाबिंद (cataract) विकसित होते हैं और ऑप्टिक तंत्रिका (optic nerve) को नुकसान पहुंचाने का संभावित जोखिम भी विरासत में मिलता है।
- चश्मे का इस्तेमाल : चरम जलवायु (extreme climate) के संपर्क में रहते हुए धूप का चश्मा पहनना भी बहुत जरूरी है, क्योंकि यह आँखों की रोशनी को बहुत गंभीर रूप से नुकसान पहुंचा सकता है और आंखों के विकारों के जोखिम को बढ़ा सकता है। इससे बचने के लिए आपको ऐसा धूप का चश्मा (sunglasses) पसंद करना चाहिए जो सूरज से 99 से 100 % यूवीए (UVA) और यूवीबी विकिरण (UVB radiations) को रोकता हो।
- पारिवारिक बीमारी : अपने परिवार के इतिहास (family history) को जानना हमेशा एक फायदा होता है क्योंकि आप चिकित्सक की निर्देशित देखरेख में संभावित आनुवंशिक नेत्र विकारों (possible hereditary eye disorders) को रोकने के लिए अपनी दैनिक आदतों में सुधार कर सकते हैं। बारीकी से निगरानी करने के लिए कुछ वंशानुगत स्थितियां (hereditary conditions) हैं जैसे ग्लूकोमा (glaucoma), ऑप्टिक शोष (optic atrophy), उम्र से संबंधित धब्बेदार अध: पतन (age related macular degeneration) और रेटिना अध: पतन (retinal degeneration)।
- पलक झपकने की आदत : डिजिटल दुनिया (digital world) में होने के नाते हमारे लिए कंप्यूटर और स्मार्टफोन (computer and smartphone) का उपयोग करते समय उचित शिष्टाचार का पालन करना बहुत महत्वपूर्ण है, क्योंकि गैजेट्स (gadgets) के उपयोग से आंखों में होने वाला तनाव आंखों की पीड़ा के सबसे प्रमुख कारणों में से एक है। आंखों के सूखेपन से बचने के लिए नियमित रूप से पलक झपकने की आदत के साथ-साथ स्क्रीन ब्रेक बहुत मदद करेगा। आप 20-20-20 नियम का पालन कर सकते हैं यानी हर 20 मिनट के बाद, एक स्क्रीन ब्रेक रखें और 20 सेकंड के लिए 20 फीट दूर किसी चीज को देखें।
- संक्रमण से बचाव : अपने हाथों को साफ रखना और बार-बार आंखों को रगड़ने से बचना भी जरूरी है क्योंकि कई रोगाणु (vulnerable germs) और संक्रमण (infections) हमारे अपने हाथों से ही आंखों तक पहुंच जाते हैं।
- योग व ध्यान : योग और ध्यान (yoga and meditation) का अभ्यास भी आंखों के स्वास्थ्य को फिर से जीवंत कर सकता है क्योंकि यह दैनिक दिनचर्या (daily routine) द्वारा विकसित शरीर में कठोरता (body stiffness) और तनाव (stress) को कम करता है।
- और एक चिकित्सक द्वारा नियमित अंतराल में आंखों की जांच व उचित मार्गदर्शन व्यक्ति को कई गंभीर परेशानियो से बचा सकता है।
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