कोरोना के मामलों में दुनिया भर में फिर से बढ़ोतरी देखी जा रही है, लेकिन कोरोना वायरस के बढ़ते मामलों के बीच एक डराने वाली खबर सामने आई है। जिसके मुताबिक अमेरिका में कोरोना का सबसे खतरनाक वेरिएंट मिला है जिसका नाम R.1 वेरिएंट है।
कोरोना वायरस R.1 वैरिएंट क्या है?
विशेषज्ञो के मुताबिक भले ही R1 वेरिएंट की पहचान अमेरिका (America) में रिसर्च ने अभी अभी की हो, लेकिन पिछले साल जापान (Japan) में यह वेरिएंट मिल चुका है। इसके अलावा R1 वेरिएंट (R1 variant) कई अन्य देशों में भी पहुंच चुका है। अमेरिका समेत दुनिया भर के लगभग 35 देशों में कोरोना के R1 वेरिएंट के केस मिल चुके हैं। इनकी संख्या 10,000 से ज्यादा है। भले ही दुनिया भर में R1 वेरिएंट के मरीज कम हो, लेकिन इसका खतरा ज्यादा है।
भारत में भी कोरोना की तीसरी लहर की आशंका जताई जा रही है और इस बीच एक और मुसीबत सामने आ गई है। विशेषज्ञो ने कोरोना वायरस के इस वेरिएंट के बारे में लोगों को चेतावनी दी है।

वैज्ञानिकों का कहना है कि R.1 वेरिएंट के कम मामलों के बावजूद लापरवाही नहीं बरती जा सकती है। यह खतरनाक साबित हो सकता है। अब तक इस वेरिएंट की प्रकृति को देखते हुए इसे काफी संक्रामक माना जा रहा है।
विश्व स्वास्थ्य संगठन (World health organisation) ने हाल ही में बताया था कि कोरोना के डेल्टा वेरिएंट (delta variant) ने दुनिया के तमाम देशों को अपनी चपेट में ले लिया है तो वहीं रोग नियंत्रण और रोकथाम केंद्र यानी CDC ने साप्ताहिक रिपोर्ट में R.1 वेरिएंट के बारे में बताया है कि कोरोना का नया R.1 वेरिएंट खतरनाक हो सकता है।
एक नई रिपोर्ट बताती है कि इस वेरिएंट ने दुनिया भर में 10,000 से अधिक लोगों को संक्रमित किया है। रोग नियंत्रण और रोकथाम केंद्र (सीडीसी) की रिपोर्ट में पाया गया कि R.1 वेरिएंट अप्रैल 2021 से अमेरिका में मौजूद थे। यह केंटकी नर्सिंग होम में पाया गया था, जहां कई रोगियों को पूरी तरह से टीका लगाया गया था।
R.1 वेरिएंट, SARS-CoV-2 का नया वेरिएंट है जिसमें कुछ म्यूटेशन देखे गए हैं। दूसरे शब्दों में समझें तो किसी भी नए स्ट्रैन की तरह R.1 भी मूल कोरोना वायरस की तुलना में लोगों को अलग तरह से प्रभावित कर सकता है। हालांकि अभी तक इसे वेरिएंट ऑफ कंसर्न (variant of concern) या वेरिएंट ऑफ इंटरेस्ट (variant of interest) के रूप में अलग नहीं किया गया है। पिछले कुछ महीनों में सामने आए करोना के ज्यादातर वेरिएंट में ऐसे म्यूटेशन देखे गए हैं, जो आसानी से शरीर में वैक्सीन से बनी एंटीबॉडी (antibody) को बेअसर कर सकते हैं।
वैज्ञानिकों का कहना है कि कोई वेरिएंट सुरक्षा से बच सकता है या नहीं, ये उस वेरिएंट में मौजूद म्यूटेशन के सेट (mutation set) पर निर्भर करता है, हालांकि जिन लोगों का टीकाकरण (covid vaccination) हो चुका है उनमें इसका कम असर देखा गया है। फिलहाल इस तरह के नए वेरिएंट से सुरक्षित रहने के लिए लोगों को जल्द से जल्द वैक्सिन लगा लेनी चाहिए। भले ही नए वेरिएंट वैक्सिन से बनी प्रतिरक्षा को चकमा दे सकते हैं, लेकिन वैक्सिन को गंभीर संक्रमण के खतरे से बचाने में असरदार पाया गया है।