भारतीय स्टार्टअप ‘स्वाहा’ की अनोखी तकनीक

हाल ही मे भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान (Indian institute of technology) इंदौर के घरेलू कचरा प्रबंधन स्टार्टअप ‘स्वाहा’ (Swaaha) ने सिमरोल में संस्थान परिसर में अपनी मोबाइल जैविक अपशिष्ट प्रसंस्करण इकाई (Mobile Organic Waste Processing Unit) “हवनकुंड” लॉन्च करी।

IIT इंदौर के 2 छात्रों ने एक ऐसी तकनीक ढूंढ़ निकाली है जिससे इस शहर के कचरे का प्रबंधन (Waste management) की समस्या सुलझती नजर आ रही है। रोहित अग्रवाल (Rohit agrawal) और ज्वलंत शाह (Jwalant shah) ने अपने शिक्षक समीर शर्मा (Sameer sharma) के साथ मिलकर एक मोबाइल वेस्ट प्रोसेसिंग वैन बनाई है। जिससे कचरे को उसी स्थान पर प्रक्रिया (Process) करके कंपोस्ट में बदलने की शुरुआत की जा सकती है।

इसका सबसे पहला प्रयोग इंदौर के छप्पन दुकान इलाके में किया गया था। इन छात्रों ने साल 2016 में “स्वाहा” नामक अपने इस स्टार्टअप की शुरुआत की थी। कचरे से कंपोस्ट (waste to compost) बनाने में कुल 10 से 12 दिन का समय लगता है। वैन के जरिए इस प्रक्रिया का पहला स्टेप उसी जगह पर किया जा सकता है। बाकी बची प्रोसेसिंग स्वाहा के कंपोस्टिंग सेंटर (Swaaha composting centre) में की जाती है। इस सुविधा के लिए स्वाहा 70 पैसे से लेकर ढाई रुपए प्रति किलो तक चार्ज करता है।

शुरुआत में इन दोस्तों ने 14 लाख रुपए जमा कर अपनी पहली गाड़ी तैयार की थी। आज स्वाहा के पास ऐसी चार वैन हैं, जो इंदौर की 15 टाउनशिप, 7 बड़े होटल और 4 शिक्षा केंद्रों पर अपनी सेवाएं दे रही हैं। अब ये तीनों इस आइडिया को लोकल से ग्लोबल (local to global) बनाने के लिए काम कर रहे हैं।

लॉन्च के दौरान IIT Indore के निदेशक प्रदीप माथुर और संकाय सदस्य मौजूद थे। हवनकुंड एक वाहन है जिसे एक पूर्ण गीले अपशिष्ट खाद इकाई में संशोधित किया गया है और इसमें प्रति घंटे 400 किलोग्राम कचरे को संसाधित करने की क्षमता है। स्वाहा रिसोर्स मैनेजमेंट प्राइवेट लिमिटेड (Swaaha Resource Management Pvt. Ltd.) के द्वारा कचरे से उत्पन्न खाद परिसर में उपयोग के लिए उपलब्ध रहती है और इसे ऑनलाइन भी खरीदा जा सकता है। लॉन्च के साथ, स्वाहा ने आईआईटी इंदौर को एक “शून्य-अपशिष्ट परिसर” (zero-waste premises) बनाने के लिए एक रोडमैप भी प्रस्तुत किया।

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